Lalitpur Singrauli Rail Line: ललितपुर सिंगरौली रेल मार्ग में अचानक उग गए 1000 से अधिक मकान
Lalitpur Singrauli Rail Line में अचानक बन गए 1000 से अधिक घर मुआवजे की लालच में बाहर से आकर लोगों ने खरीद ली जमीन, इस ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन के लिए वर्ष 2016 में 6672 करोड रुपए का बजट पास किया गया था
Lalitpur Singrauli Rail Line: ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन जिसके लिए 6672 करोड रुपए का बजट वर्ष 2016 में पास किया गया था, इस रेल लाइन का पूरी तरह से बन जाने के बाद लाखों लोगों का फायदा होने वाला है, लेकिन 8 वर्ष बीत जाने के बाद भी रेल लाइन बिछाने का काम पूरा नहीं हो सका और अब यहां अचानक से कुछ ऐसा हुआ जिसने सभी को हैरान कर दिया.
दरअसल ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन (Lalitpur Singrauli Rail Line) में अचानक 1000 से अधिक घर उग गए, इन मकानो पर अधिकारियों की नजर तब पड़ी जब इनमें से ज्यादातर घर पूरी तरह से बनकर तैयार हो गए, ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन जिस मार्ग से होकर निकलने वाली थी इस मार्ग पर लोग मुआवजे की लालच पर घर बनाकर इस तैयारी में बैठे हुए हैं कि जब यहां से रेल लाइन निकलेगी तो उन्हें अच्छा मुआवजा मिलेगा.
1000 से ज्यादा नकली घर बनाकर तैयार
मुआवजे की लालच में माफियाओं ने लगभग 10 गांवो में 1000 से अधिक मकान बनकर तैयार कर लिया इनमें से ज्यादातर मकान ऐसे हैं जहां इंसानों के रहने की कोई गुंजाइश ही नहीं है. क्योंकि यह घर पूरी तरह से नकली है एक आंकड़े के मुताबिक इन गांव में 1000 से लेकर 1800 तक नकली घर बनाए गए हैं.
यह ट्रेन सिंगरौली जिले के देवसर, चितरंगी के 22 गांव से होकर गुजरेगी जिसमें 22 गांव के करीब 2166 मकान का अवार्ड भी भू अर्जन अधिकारी द्वारा पारित कर दिया गया है, इस रेलवे लाइन में आने वाले 10 गांव ऐसे हैं जहां सर्वे का काम हाल ही में पूरा किया गया और पाया गया कि इन 10 गांव में लगभग 1000 से ज्यादा नकली घर बनाए गए हैं.
मुआवजे की लालच में बड़ा खेल
ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन ऐसी है जहां पिछले 5 से 10 वर्षों में जमकर जमीन की खरीदी हुई है इनमें से ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो गांव के गरीब किसानों की जमीन खरीद कर मुआवजे की लालच पर यहां मकान बना चुके हैं इसमें अधिकारियों की भी संलिप्त मानी जा रही है.
दरअसल किसानों से ली हुई जमीनों पर लोग बहुमंजिला नकली इमारत खड़ी करते हैं जिसमें घटिया क्वालिटी की सीमेंट, इंट इत्यादि बिल्डिंग मटेरियल का उपयोग किया जाता है यह मकान बाहर से दिखने में असली लगते हैं लेकिन अंदर यह इंसानों के रहने लायक भी नहीं होते, इन नकली मकान के अधिग्रहण में मुआवजे की मोटी रकम वसूल की जाती है.
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